2 शोहरत पढ़ाई की मोहताज नहीं

शोहरत पढ़ाई की मोहताज नहीं – दुनिया के सफलतम उद्यमी

शोहरत पढ़ाई की मोहताज नहीं
शोहरत पढ़ाई की मोहताज नहीं

School/College/University मे बच्चों को जीवन की व्यवहारिक शिक्षा प्रदान नहीं की जाती, नतीजतन बच्चे Certificate/Degree /Diploma मे तो अव्वल नजर आते हैं लेकिन जीवन मे फिसड्डी साबित होते हैं। 1947 के बाद हमने शिक्षा के क्षेत्र मे तरक्की के नाम पर बच्चों को रटंत विध्या मे पारंगत करने के लिये प्रेरित किया है और आज उसका परिणाम हमारे सामने है।

बच्चे Academic Exam से लेकर Entrance और Competitive Exams मे भी 100% Marks ला रहे हैं। हमारे संचार तंत्रों के माध्यम से बच्चों की ऐसी उपलब्धियों के बारे मे हम सभी जान पाते हैं लेकिन इसके बाद उन बच्चों के जीवन मे क्या हुआ? इसके बारे मे सिर्फ उनके घर वालों को ही पता होता है।

बच्चों का Exams मे बेहतरीन प्रदर्शन उनकी काबिलियत को दर्शाता है लेकिन वही बच्चा आगे अपने जीवन मे Survival के लिये एक अच्छी नौकरी पाने या Business स्थापित करने मे असफल हो जाता है। ये हमे बताता है कि बच्चे काबिल तो हैं लेकिन उनकी काबिलियत को सही दिशा देने मे हमारा Education System असफल रहा है।

व्यापार जगत ऐसे कई उदाहरणों से भरा हुआ है, जहां लोगों ने औपचारिक शिक्षा पूरी किए बिना ही बड़ी सफलता हासिल की है। ये व्यक्ति अपने जुनून, कड़ी मेहनत और व्यावसायिक कौशल के बल पर शीर्ष पर पहुंचे। यहां देश – विदेश के सबसे सफल बिजनेस टाइकून के बारे मे जानकारी दी गई है, जिन्होंने स्कूल या कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर दुनिया मे अपना परचम लहराया।

Life मे निश्चित सफलता हासिल करने और Name-Fame-Money पाने के लिये पढ़ें और जाने –

काबिल बनो – सफलता झकमारकर पीछे आयेगी” – Author – CA DevRatna

धीरूभाई अंबानी : 11वीं कक्षा पास, लेकिन व्यापार जगत के शहंशाह

धीरूभाई अंबानी (1932-2002) भारतीय उद्योग जगत के एक दिग्गज थे। उन्होंने औपचारिक शिक्षा पूरी ना करने के बावजूद “रिलायंस इंडस्ट्रीज” नामक एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य का निर्माण किया। उन्हें “भारतीय उद्योग का पितामह” भी कहा जाता है। आइए उनके जीवन और उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं:

शिक्षा: 11वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की।

आरंभिक जीवन: उनका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया और 16 साल की उम्र में यमन में एक पेट्रोल पंप पर काम करने के लिए चले गए।

व्यवसायिक यात्रा:

  • 1958 में भारत लौटने के बाद उन्होंने मसालों का व्यापार शुरू किया।
  • 1966 में उन्होंने रिलायंस टेक्सटाइल की स्थापना की, जो धीरे-धीरे भारत की सबसे बड़ी कपड़ा कंपनियों में से एक बन गई।
  • 1977 में रिलायंस टेक्सटाइल का पहला IPO (आइपीओ) आया, जिसने भारत में शेयर बाजार में निवेश को बढ़ावा दिया।
  • 1981 में उन्होंने रिलायंस पेट्रोलियम की स्थापना की, जो आज भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की तेल और गैस कंपनी है।
  • 1990 के दशक में उन्होंने रिलायंस इन्फोकॉम की स्थापना की, जो भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनियों में से एक बन गई।

विशेष उल्लेखनीय योग्यताएं:

  • कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प
  • दूरदर्शिता और जोखिम लेने की क्षमता
  • कुशल नेतृत्व और प्रेरणादायक व्यक्तित्व
  • नवीनता और रणनीतिक सोच

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रिचर्ड ब्रैनसन (वर्जिन ग्रुप) –

रिचर्ड ब्रैनसन: वर्जिन ग्रुप के संस्थापक, एक ब्रिटिश अरबपति उद्यमी हैं। उन्हें व्यापार जगत में एक विद्रोही के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने विमानन, संगीत, मनोरंजन और वित्तीय सेवाओं सहित कई उद्योगों में सफल कंपनियों का निर्माण किया है।

योग्यता:

  • ब्रैनसन डिस्लेक्सिक हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें पढ़ने और लिखने में परेशानी होती थी।
  • उन्होंने पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और 16 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया।

हालाँकि, ब्रैनसन उद्यमी बनने के लिए उत्सुक थे और उन्होंने 15 साल की उम्र में ही अपनी पहली पत्रिका, “Student” शुरू कर दी थी।

उनके पास औपचारिक डिग्री या व्यावसायिक प्रशिक्षण नहीं है, लेकिन उनकी सीखने की इच्छा, रचनात्मकता और जोखिम लेने की क्षमता ने उन्हें एक सफल व्यवसायी बना दिया है।

विशेष उल्लेखनीय योग्यताएं:

  • दृढ़ संकल्प और जुनून
  • रचनात्मक सोच और नवाचार
  • जोखिम लेने की क्षमता
  • मजबूत नेतृत्व कौशल
  • उत्कृष्ट ग्राहक सेवा पर ध्यान दें

सारांश:

रिचर्ड ब्रैनसन औपचारिक शिक्षा की कमी के बावजूद एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं। उनकी सफलता उनकी उद्यमशीलता की भावना, रचनात्मकता और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। वह उन लोगों के लिए एक आदर्श हैं जो पारंपरिक रास्ते का अनुसरण नहीं करना चाहते हैं और अपने स्वयं के सपनों को साकार करना चाहते हैं।

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किशोर बियानी: कॉलेज ड्रॉपआउट, रिटेल किंग

किशोर बियानी भारतीय रिटेल जगत के एक दिग्गज हैं। उन्होंने औपचारिक शिक्षा पूरी किए बिना ही फ्यूचर ग्रुप की स्थापना की, जो भारत की सबसे बड़ी खुदरा कंपनियों में से एक है। उन्हें “भारतीय रिटेल का किंग” भी कहा जाता है। आइए उनके जीवन और उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं:

शिक्षा: कॉलेज ड्रॉपआउट

आरंभिक जीवन: उनका जन्म एक मराठी परिवार में हुआ था। उन्होंने 19 साल की उम्र में ही पारिवारिक कपड़ा व्यवसाय में शामिल हो गए।

व्यवसायिक यात्रा:

  • 1988 में उन्होंने फ्यूचर ग्रुप की स्थापना की।
  • फ्यूचर ग्रुप ने भारत में विभिन्न खुदरा फॉर्मैट पेश किए, जैसे बिग बाजार, फ्यूचरस्टोर, ईज़ीडे मार्ट आदि।
  • उन्होंने आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और ग्राहक अनुभव पर ध्यान केंद्रित किया।
  • फ्यूचर ग्रुप ने भारत के छोटे किसानों और उत्पादकों को उनके उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक पहुंचाने में मदद की।

विशेष उल्लेखनीय योग्यताएं:

  • नयापन लाने की क्षमता और बदलते बाजार के रुझानों को समझना
  • मजबूत आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन
  • ग्राहक अनुभव पर ध्यान देना
  • आक्रामक विस्तार रणनीति

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हेनरी फोर्ड (फोर्ड मोटर कंपनी)

हेनरी फोर्ड: फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक, एक अमेरिकी मशीनिस्ट और व्यावसायिक दिग्गज थे। उन्हें विधानसभा लाइनों के अग्रणी और सस्ती कारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जाना जाता है।

योग्यता:

  • हेनरी फॉर्ड ने औपचारिक शिक्षा का बहुत कम पीछा किया। उन्होंने 16 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया और मैकेनिक के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
  • उनके पास कोई औपचारिक डिग्री या व्यावसायिक प्रमाणपत्र नहीं था। हालाँकि, उन्हें मशीनरी और इंजीनियरिंग में गहरी रुचि थी।
  • वह लगातार सीखने वाले और प्रयोग करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने अपने गैरेज में प्रयोग करके और नई तकनीकों का आविष्कार करके ऑटोमोबाइल उद्योग में क्रांति ला दी।

विशेष उल्लेखनीय योग्यताएं:

  • यांत्रिकीय अनुभव और इंजीनियरिंग कौशल
  • विजनरी सोच और नवाचार
  • दक्षता और बड़े पैमाने पर उत्पादन पर ध्यान दें
  • असेंबली लाइन का अग्रणी
  • लागत कम करने और सस्ती कार बनाने की क्षमता

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सावित्री जिंदल – जिंदल समूह की अध्यक्ष

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

  • सावित्री जिंदल का जन्म 1950 में असम के तिनसुकिया में हुआ था।
  • उन्होंने 1970 में ओम प्रकाश जिंदल से शादी की।
  • उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

व्यवसाय में प्रवेश

  • 2005 में अपने पति की मृत्यु के बाद, सावित्री जिंदल ने जिंदल समूह की अध्यक्षता संभाली।
  • उस समय, समूह का मुख्यालय दिल्ली में था और इसका मुख्य व्यवसाय इस्पात उत्पादन था।
  • उन्होंने समूह को विविध बनाने और नए क्षेत्रों में विस्तार करने का काम शुरू किया।

उपलब्धियां

  • उनके नेतृत्व में, जिंदल समूह ने कई क्षेत्रों में प्रवेश किया, जिनमें बिजली, खनन, बुनियादी ढांचा और रियल एस्टेट शामिल हैं।
  • समूह का राजस्व और मुनाफा कई गुना बढ़ गया है।
  • आज, जिंदल समूह भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक है, जिसमें 100,000 से अधिक कर्मचारी हैं।
  • सावित्री जिंदल को भारत की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक माना जाता है।

सामाजिक कार्य

  • सावित्री जिंदल शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल हैं।
  • उन्होंने ओम प्रकाश जिंदल फाउंडेशन की स्थापना की, जो भारत के सबसे बड़े धर्मार्थ फाउंडेशनों में से एक है।
  • फाउंडेशन ने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सामाजिक कारणों के लिए अरबों रुपये का दान दिया है।
  • सावित्री जिंदल को “भारत की इस्पात रानी” के रूप में जाना जाता है।

उन्हें एक प्रेरणादायक नेता और महिला सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

इंगवार कैंपराड (IKEA)

इंगवार कैंपराड: IKEA के संस्थापक, एक स्वीडिश व्यापारी थे जिन्होंने फ्लैट-पैक फर्नीचर और किफायती दामों के साथ फर्नीचर उद्योग में क्रांति ला दी।

योग्यता:

  • इंगवार कैंपराड ने औपचारिक शिक्षा का पीछा नहीं किया। उन्होंने स्कूल में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और 17 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी।
  • उनके पास कोई कॉलेज की डिग्री या व्यावसायिक प्रशिक्षण नहीं था। हालाँकि, उनमें व्यापार के लिए एक तीव्र दृष्टि और लागत कम करने की प्रतिभा थी।

विशेष उल्लेखनीय योग्यताएं:

  • लागत नियंत्रण और दक्षता पर ध्यान दें
  • फ्लैट-पैक फर्नीचर डिजाइन और विधानसभा की अवधारणा का अग्रणी
  • ग्राहक स्वयंसेवा और लागत कम करने के लिए स्मार्ट स्टोर डिज़ाइन
  • मजबूत ब्रांड निर्माण और विपणन रणनीति

सारांश:

इंगवार कैंपराड का जीवन इस बात का प्रमाण है कि सफल होने के लिए पारंपरिक शिक्षा जरूरी नहीं है। उनकी दृष्टि, लागत कम करने की रणनीति और फ्लैट-पैक फर्नीचर की अवधारणा ने IKEA को एक वैश्विक फर्नीचर दिग्गज बना दिया। उनकी कहानी उन युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा है जो अपने जुनून का पालन करना चाहते हैं और रचनात्मक समाधानों के साथ व्यापार में सफल होना चाहते हैं।

लक्ष्मी मित्तल –

लक्ष्मी मित्तल: एक भारतीय मूल के ब्रिटिश व्यवसायी हैं, जो दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक हैं। वह आर्सेलर मित्तल के संस्थापक और पूर्व सीईओ हैं, जो दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी है।

योग्यता:

  • लक्ष्मी मित्तल ने कोलकाता विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
  • उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम.कॉम भी किया।
  • उन्होंने 1970 में अपने पिता के स्टील व्यवसाय में शामिल होने के लिए अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ दी।

विशेष उल्लेखनीय योग्यताएं:

  • कुशल व्यवसायी और रणनीतिकार
  • विलय और अधिग्रहण के माध्यम से कंपनी के विस्तार पर ध्यान दें
  • उत्पादन क्षमता और दक्षता में सुधार पर जोर
  • वैश्विक बाजारों की गहरी समझ

सारांश:

लक्ष्मी मित्तल की कहानी इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा और कड़ी मेहनत सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अपनी व्यावसायिक समझ और रणनीतिक कौशल का उपयोग करके एक स्टील साम्राज्य का निर्माण किया। उनकी कहानी उन युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा है जो अपने जुनून का पालन करना चाहते हैं और व्यापार की दुनिया में सफल होना चाहते हैं।

उपलब्धियां:

  • 2005 में, लक्ष्मी मित्तल को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
  • 2011 में, उन्हें यूनाइटेड किंगडम में नाइट की उपाधि दी गई थी।
  • 2015 में, उन्हें फोर्ब्स द्वारा दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति के रूप में स्थान दिया गया था।

कोको चैनल (Chanel)

कोको चैनल (Gabrielle Bonheur Chanel):  एक प्रसिद्ध फैशन डिज़ाइनर थीं, जिन्होंने 20वीं सदी के फैशन जगत में क्रांति ला दी। वह “चैनल” ब्रांड की संस्थापिका थीं, जो आज भी विलासिता और शैली का पर्याय बनी हुई है।

योग्यता:

  • कोको चैनल ने औपचारिक शिक्षा का रास्ता नहीं अपनाया। उन्हें बचपन में एक अनाथालय में रखा गया था, जहाँ उन्होंने सिलाई का हुनर सीखा।
  • उनके पास कोई औपचारिक फैशन डिग्री या डिजाइन का प्रशिक्षण नहीं था। हालांकि, उनके पास कपड़ों के निर्माण और डिजाइन के लिए एक सहज ज्ञान और अद्वितीय दृष्टिकोण था।

विशेष उल्लेखनीय योग्यताएं:

  • फैशन रुझानों को समझने और उन्हें फिर से परिभाषित करने की क्षमता
  • सरलता और कार्यक्षमता पर जोर देने वाला क्रांतिकारी डिजाइन सौंदर्यशास्त्र
  • महिलाओं के लिए आरामदायक और स्टाइलिश कपड़े बनाने पर ध्यान दें
  • मजबूत ब्रांड निर्माण और विपणन रणनीति

सारांश:

कोको चैनल की कहानी इस बात का प्रमाण है कि रचनात्मक प्रतिभा और दृढ़ संकल्प औपचारिक शिक्षा की कमी को पूरा कर सकते हैं। उन्होंने न केवल महिलाओं के पहनावे में क्रांति ला दी, बल्कि एक विश्व-प्रसिद्ध फैशन ब्रांड भी बनाया। उनकी कहानी उन महत्वाकांक्षी फैशन डिजाइनरों के लिए प्रेरणा है जो अपने जुनून का पालन करना चाहते हैं और फैशन की दुनिया में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं।

शिव नाडार –

शिव नाडार: एक भारतीय उद्योगपति और परोपकारी व्यक्ति हैं। वह एचसीएल टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और चेयरमैन हैं, जो भारत की अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों में से एक है।

योग्यता:

  • शिव नाडार ने अपनी औपचारिक शिक्षा तमिलनाडु के विभिन्न स्कूलों में पूरी की।
  • उन्होंने अमेरिकन कॉलेज, मदुरै से प्री-यूनिवर्सिटी की डिग्री हासिल की।
  • इसके बाद उन्होंने पीएसजी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर से इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की।

विशेष उल्लेखनीय योग्यताएं:

  • दूरदृष्टि और उद्यमशीलता की भावना
  • सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में मजबूत तकनीकी विशेषज्ञता
  • कुशल नेतृत्व और टीम निर्माण कौशल
  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता

सारांश:

शिव नाडार की कहानी इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा और उद्यमशीलता का मेल सफलता के लिए एक शक्तिशाली संयोजन हो सकता है। उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री और व्यावसायिक कौशल का उपयोग करके एचसीएल टेक्नोलॉजीज का निर्माण किया। वह न केवल एक सफल व्यवसायी हैं बल्कि एक परोपकारी व्यक्ति भी हैं जो शिक्षा और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

बच्चों का पढ़ाई मे मन न लगने के कारण और उनका समाधान जानने के लिये आज ही पढ़िये

STRESS FREE EDUCATION” (Hindi Edition) – CA DevRatna

उल्लेखनीय उपलब्धियां:

  • एचसीएल टेक्नोलॉजीज को भारत की अग्रणी आईटी कंपनियों में से एक बनाना।
  • शिव नाडार फाउंडेशन की स्थापना, जो शिक्षा और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में काम करती है।
  • भारत के तीसरे सबसे धनी व्यक्तियों में से एक के रूप में सम्मानित होना।

ली का-शिंग (CK हचिसन होल्डिंग्स)

ली का-शिंग:  हांगकांग के एक धनाढ्य उद्यमी हैं, जिन्हें एशिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक माना जाता है। वह सीके हचिसन होल्डिंग्स के संस्थापक हैं, जिसके पास बंदरगाहों, दूरसंचार, खुदरा व्यापार और ऊर्जा सहित विभिन्न उद्योगों में व्यापक कारोबारी हित हैं।

योग्यता:

  • ली का-शिंग ने औपचारिक शिक्षा पूरी नहीं की। द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण उन्हें 15 साल की उम्र में स्कूल छोड़ना पड़ा।
  • उनके पास कोई कॉलेज की डिग्री या व्यावसायिक प्रशिक्षण नहीं था। हालाँकि, उनमें व्यापार के लिए एक तीव्र बुद्धि और अवसरों को पहचानने की क्षमता थी।

विशेष उल्लेखनीय योग्यताएं:

  • कुशल व्यापारी और निवेशक
  • विविधीकरण और रणनीतिक अधिग्रहणों पर ध्यान दें
  • मजबूत व्यावसायिक अंतर्ज्ञान और दीर्घकालिक दृष्टिकोण
  • लागत नियंत्रण और वित्तीय अनुशासन पर जोर

सारांश:

ली का-शिंग की कहानी इस बात का प्रमाण है कि कड़ी मेहनत, बुद्धि और दृढ़ संकल्प औपचारिक शिक्षा की कमी को दूर कर सकते हैं। उन्होंने विविधीकरण और रणनीतिक निवेशों के माध्यम से एक व्यापारिक साम्राज्य का निर्माण किया। उनकी कहानी उन युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा है जो अपने जुनून का पालन करना चाहते हैं और व्यापार की दुनिया में सफल होना चाहते हैं।

My opinion: बच्चों को पढ़ाना हर माता-पिता अपना कर्तव्य समझते हैं। कर्तव्य से ज्यादा उन्हे ये चिंता सताती है कि आज के दौर मे यदि हम अपने बच्चे को नहीं पढ़ाएंगे तो उसका भविष्य उज्वल नहीं होगा, वह Life की Race मे औरों से पिछड़ जायेगा। बच्चे के लिये उनका इसी डर या चिंता की वजह से  लिया गया Decision, उनके बच्चे के लिये अभिशाप बन सकता है।

बच्चे के लिये कोई भी निर्णय लेते समय, हर माता-पिता को एक बात हमेशा ध्यान मे रखना चाहिये कि जिस रास्ते पर वे अपने बच्चे को भेजना चाहते हैं उस रास्ते से होकर वे यहाँ तक पहुचें हैं, उन्हे क्या हासिल हुआ है? उन्हे किस आस मे उस रास्ते पर डाला गया था? क्या वो उन्हे मिला? नहीं मिला तो सोचे कि उनसे क्या चूक हुई?

उसके पश्चात ही अपने बच्चों को उस रास्ते जाने को कहें, अन्यथा अच्छे माता-पिता बनने के लिये हिम्मत जुटायें और अपने बच्चों के लिये सही मार्ग चुनने के लिये थोड़ी माथा-पच्ची अवश्य करें। क्योंकि आपका एक Decision आपके बच्चे के सिर्फ 20-22 साल नहीं बल्कि पूरा जीवन ब…… कर सकता है।

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