इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति इन दिनों अपने बयानों की वजह से सुर्खियों मे बने हुये हैं
पिछले कुछ दिनों से इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति चर्चा में हैं। उनके बयानों से देश के हर क्षेत्र मे चर्चाओं का दौर गरम है, पिछले दिनों जब उन्होंने युवाओं को “राष्ट्र निर्माण के लिये युवाओं को 70 घंटे काम करना चाहिये” सलाह दी तो उद्योग जगत, वित्तीय, सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्रों और यहां तक कि आम लोगों ने भी इस पर कडी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उनके इस सुझाव को लगभग सभी ने पूंजीवादी शोषण कहकर आलोचना की। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने नारायण मूर्ति के इस सुझाव को भारत के उत्थान के लिये जरूरी बताया।
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इस बार क्या कह दिया इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने?
देश की आईटी सेक्टर की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी इंफोसिस के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति इस समय अपने बेबाक बयानों को लेकर फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने बेंगलुरु में एक टेक समिट 2023 में अपने बेवाक विचार रखे। उन्होंने कहा हम देश में वर्तमान में दी जा रही मुफ्त सेवा के खिलाफ नहीं हैं लेकिन सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली मुफ्त सेवाओं और सब्सिडी के लाभार्थियों (लोगों को) को समाज के कल्याण में योगदान देना चाहिए।
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एन आर नारायण मूर्ति का कहना है कि जब आप सेवाओं का लाभ उठाते हैं, आपको सब्सिडी का लाभ मिलता है तो आपको बदले में देश को कुछ देने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने भारत जैसे गरीब देश को समृद्ध बनाने के लिए दयालु पूंजीवाद की आवश्यकता की वकालत की।
नारायण मूर्ति की दूरगामी व्यवसायिक बुद्धिमत्ता
एन आर नारायण मूर्ति एक Business man हैं और उनके सभी बयान उनकी दूरगामी व्यवसायिक बुद्धिमत्ता को दर्शाते हैं। वे वर्तमान मे राजनैतिक पार्टियों और नेताओं द्वारा स्व हित मे लिये जा रहे निर्णयों के दूरगामी परिणामों को ध्यान मे रखकर अपने स्पष्ट नजरिये से देश की आम जनता को आईना दिखाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी यह कोशिश कभी आम इंसान की समझ मे नहीं आयेगी क्योंकि इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है जब लुटेरों ने जनता मे चंद सिक्के उछालकर उन्हे ललचाया और उन्हे आपस मे उलझाकर, सारे खजाने पर कब्जा कर पीढ़ियों तक देश पर राज किया।
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देश हित की सोच रखते हैं श्री एन आर नारायण मूर्ति
नेता और फिल्मी सितारे अक्सर ऐसे बयान देकर सुर्खियों मे बने रहने की कवायद करते रहते हैं जिन पर चर्चाओं का बाजार गरम हो। इसके लिये वे अक्सर ऊटपटाँग (बे-सर-पैर के) बयानबाजी, ओछी हरकतों से भी एतराज नहीं करते क्योंकि उन सबका एक ही उद्देश होता है, खबरों मे बने रहना। फिल्मी सितारों की हरकतों से लोगों का मनोरंजन होता है लेकिन नेताओं की बयानबाजी और कारनामों का असर देश की जनता पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है, लेकिन वे कभी इसकी परवाह नहीं करते।
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देश मे कुछ विरले लोग भी होते हैं जो देश हित की सोच रखते हैं, देश के बुरे हालात उनकी आत्मा को झकझोरते हैं और कभी-कभी उनका ये दर्द छलक कर बाहर आ जाता है जो अक्सर नेताओं को जानकर रास नहीं आता और आम जनता को अज्ञानतावश। लगता है ऐसा ही कुछ एन आर नारायण मूर्ति के साथ हो रहा है।
पद्म विभूषण श्री एन आर नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी पद्मश्री श्रीमती सुधा मूर्ति ने इन्फोसिस फौंडेशन के माध्यम से इन्होंने समाज के विविध क्षेत्राें में विकास काम को प्रोत्साहन दिया। कर्नाटक सरकार की सभी पाठशालाओं में उन्होंने संगणक और ग्रंथालय उपलब्ध करा दिए है। मूर्ती क्लासिकल लायब्ररी ऑफ इंडिया, इस नाम का ग्रंथालय उन्होंने हार्वर्ड विश्वविघालय शुरू किया है। कर्नाटक के ग्रामीण भाग में और बैंगलोर शहर और परिसरात उन्होंने लगभग १०,००० शौचालये संस्था के माध्यम से बांधी है। तमिलनाडू और अंदमान यहाँ सुनामी के समय उन्होंने विशेष सेवाकार्य किया। महाराष्ट्र में हुए सूखे से ग्रस्त भागाें के लोगों को भी संस्था ने मदद की थी।
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लेकिन लगता है एन आर नारायण मूर्ति अपने द्वारा समाज के लिये किये गये कामों से वे संतुष्ट नहीं है और वे इसका दायरा बढ़ाना चाहते हैं लेकिन इसके लिये उन्हे सत्ताधारी राजनैतिक नेताओं के साथ की जरूरत है।
हमारे ही खजाने के रखवाले, चंद सिक्के, हमे देकर, हमी पर एहसान जताते हैं।
भूखे-नंगे हम, नौकरों को अपना रहनुमा जान, उनके आगे नतमस्तक हो जाते हैं।।
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